Friday, February 14, 2025

AMU Arts Faculty Journal 'Daanish' Release


 Prof Shafey Kidwai, Prof TN Satheesan, Prof Qamrul Huda Faridi, Prof Vibha Sharma, Prof Waseem Raja, Prof Siraj Ajmali, Prof Ziaur Rahman Siddiqui and others releasing the Arts Faculty journal Danish

   The Urdu journal 'Daanish' of the Faculty of Arts, Aligarh Muslim University (AMU), was released by the Dean, Professor T.N. Satheesan at the Arts Faculty Lounge.

Speaking on the occasion, Professor Satheesan highlighted the significance of 'Daanish' in preserving and promoting Urdu literature and scholarship. He emphasized that the journal provides a crucial space for intellectual discourse and encourages students to engage in literary and academic pursuits.

Professor Shafey Kidwai, Director, Sir Syed Academy acknowledged the journal's role in showcasing the literary achievements of AMU students and faculty, while Professor Vibha Sharma, Member Incharge, Public Relations, underscored its importance in creating a research-oriented academic environment.

Earlier, welcoming the guests, the editor of 'Daanish,' Professor Ziaur Rehman Siddiqui expressed gratitude to the contributors and reaffirmed the commitment to uphold the journal’s scholarly standards.

Professor Qamarul Huda Faridi (Head of the Urdu Department), Professor Waseem Raja (Department of History), Professor Muhammad Ali Johar (Former Head, Department of Urdu), Professor Siraj Ajmali (Department of Urdu) and Dr. Tahir Pathan (In-charge Marathi Section) were also present on the occasion.

The launch event reaffirmed AMU’s dedication to promoting academic and literary ex

'Gender Sensitization' workshop; : keynote address BY former SC Judge

 

CSSI, JMI conducts a two-day 'Gender Sensitization' workshop; former SC Judge delivers the keynote address 

सीएसएसआईजेएमआई ने दो दिवसीय जेंडर सेंसिटाइजेशन” कार्यशाला आयोजित कीपूर्व सुप्रीम कोर्ट जज ने मुख्य भाषण दिया

नई दिल्ली, 14 फरवरी, 2025: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामाजिक समावेश अध्ययन केंद्र (सीएसएसआई) ने आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) और डीन छात्र कल्याण कार्यालयजामिया मिल्लिया इस्लामिया के सहयोग से दो दिवसीय जेंडर सेंसिटाइजेशन” कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन कियाजो 13 फरवरी, 2025 को विश्वविद्यालय के एफटीके-सीआईटी हॉल में शुरू हुई। कार्यशाला का उद्देश्य लैंगिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ानासमावेशिता को बढ़ावा देना और लिंग संबंधी अधिकारों और नीतियों की कानूनी समझ को मजबूत करना था। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मुजीबुर रहमान और डॉ. अरविंद कुमार थेजो सीएसएसआईजामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रख्यात विद्वान और संकाय सदस्य हैं। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. मसरूर और श्री शेख मोहम्मद फरहान ने किया।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ उपस्थित थेसाथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक (सेवानिवृत्त) भी मौजूद थे। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. आर. मनोज कुमार इस सत्र में शामिल नहीं हो सकेलेकिन उन्होंने सीएसएसआई की पहल की प्रशंसा करते हुए बधाई संदेश भेजा।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत सीएसएसआई की निदेशक प्रोफेसर तनुजा के स्वागत भाषण से हुईजिन्होंने समानता सुनिश्चित करने में भारतीय संविधान की भूमिका पर भी जोर दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि लैंगिक न्याय पूरे समाज के लिए आवश्यक है। उन्होंने समावेशिता को बढ़ावा देने में शिक्षा के महत्व को रेखांकित कियाजिसे यूजीसी और एनईपी दोनों ने मान्यता दी है।

अपने मुख्य भाषण में न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक ने अनुच्छेद 14, 15 और 16 जैसे संवैधानिक प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया और लैंगिक अधिकारों की सुरक्षा में राज्य की जिम्मेदारी को मजबूत किया। उन्होंने विशाखा दिशा-निर्देशपॉश अधिनियम और धारा 377 के गैर-अपराधीकरण सहित ऐतिहासिक मामलों और कानूनी प्रगति का हवाला दियाजिसने लैंगिक न्याय में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इन बिंदुओं पर आगे बढ़ते हुएकुलपति के विशेष कार्याधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश ने सिमोन डी ब्यूवॉयर के प्रसिद्ध कथन का संदर्भ दिया, “कोई महिला के रूप में पैदा नहीं होता हैबल्कि एक महिला बन जाता है”, सामाजिक पोषण प्रथाओं और लैंगिक संवेदनशीलता प्राप्त करने में ज्ञान और शिक्षा की भूमिका की फिर से जांच करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने पवित्र कुरान से सूरह अल-निसा का हवाला देते हुए कहा कि हर बच्चा एक इंसान के रूप में पैदा होता है और लैंगिक विभाजन सामाजिक रूप से निर्मित होते हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक शास्त्र महिलाओं के सशक्तिकरण की वकालत करते हैंलेकिन व्यवहार में इन सिद्धांतों को अक्सर अनदेखा किया जाता है। उन्होंने आगे चिंता व्यक्त की कि शिक्षित व्यक्ति कभी-कभी अपने कार्यों में पाखंड प्रदर्शित करते हैं। प्रो. आसिफ ने साझा किया कि जामिया ने महिलाओं को प्रशासनिक पदों पर सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है और आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय लैंगिक असमानता से संबंधित किसी भी चिंता का समाधान करेगा।

प्रो. नीलोफर अफजल – डीन छात्र कल्याण ने संवैधानिक प्रावधानों की मौजूदगी को स्वीकार करते हुए कार्रवाई का आह्वान कियालेकिन इस बात पर जोर दिया कि अकेले कानून गहरी जड़ें जमाए हुए मानसिकता को नहीं बदल सकते। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सच्ची लैंगिक समानता हासिल करने के लिए पुरुषों और महिलाओं के बीच साझा जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है।

डॉ. अरविंद कुमार ने विशेष अतिथियूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. आर. मनोज कुमार का संदेश पढ़ाजिन्होंने सबका साथसबका विकास” (सामूहिक प्रयाससमावेशी विकास) के सामूहिक प्रयास में सभी हितधारकों को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

पहले तकनीकी सत्र की शुरुआत प्रो. चारु गुप्ता ने पारंपरिक चिकित्सा में महिलाओं के योगदान के बारे में ऐतिहासिक जानकारी देते हुए कीजिसमें यशोदा देवी के काम पर ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ. अनामिका प्रियदर्शिनी ने महिला सशक्तिकरण के लिए एक उपकरण के रूप में सामाजिक पूंजी पर चर्चा कीजबकि डॉ. हेम बोरकर ने मदरसा शिक्षा में लड़कियों के बीच शैक्षिक आकांक्षाओं पर अपना शोध प्रस्तुत किया।

दूसरे तकनीकी सत्र में लैंगिकतास्थान और अंतर्संबंध पर चर्चा की गई। प्रो. कुलविंदर कौर ने लैंगिक-समावेशी सार्वजनिक स्थानों की आवश्यकता और दलित तथा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों पर जोर दिया। डॉ. स्मिता एम. पाटिल ने दलित-बहुजन दृष्टिकोण से जाति और लिंग का विश्लेषण कियातथा शक्ति असंतुलन पर प्रकाश डाला। पिंक लिस्ट इंडिया के अनीश गावंडे ने डिजिटल स्थानों में LGBTQ+ वकालत के बारे में बात कीतथा मिस कायालविझी ने बाल विवाहबाल यौन शोषण और मासिक धर्म संबंधी वर्जनाओं जैसे मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के लिए शैक्षिक स्थानों को पुनः प्राप्त करने की रणनीतियों पर चर्चा की।

सत्र का समापन डॉ. अरविंद कुमार द्वारा दिये गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआजिसके बाद एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र हुआजिसमें लैंगिक पूर्वाग्रहों को समाप्त करने में सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्रतिभागियों ने वास्तविक लैंगिक समावेशिता प्राप्त करने में नीति सुधारों और समुदाय-नेतृत्व वाली पहलों के महत्व पर बल दिया।

यह कार्यशाला जागरूकता बढ़ाने और लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में चर्चा को बढ़ावा देनेसंस्थाओं और व्यक्तियों को समान रूप से अधिक समावेशी समाज की वकालत करने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Alumni Meet 2025 : Architecture and Interior Design Students


 Participants of AMU Alumni Meet 2025 organised by the Architecture and Interior Design section at University Polytechnic

                      Alumni Meet 2025 Brings Together Former Architecture and Interior Design

The Architecture Section, University Polytechnic, Aligarh Muslim University (AMU), organized the Alumni Meet 2025 for the students of 1985-2016 Batch of Diploma in Architecture/Interior Design, bringing together former and current students for networking and knowledge sharing.

Prof. Sartaj Tabassum, Chairman of Alumni Affairs, attended as the Chief Guest. Ar. Abdul Rauf, an alumnus, participated as the Guest of Honour and shared his professional experiences.

Welcoming the guests, Prof. Arshad Umar, Principal of University Polytechnic, said that Alumni from various batches are today reconnected with their peers and mentors and the event provides a platform for architecture and interior design professionals to share experiences and guide current students.

A segment was dedicated to recognizing distinguished alumni and retired teachers for their contributions to education and industry. The Architecture Section announced an initiative to feature alumni profiles on its Facebook and LinkedIn pages, and on the university portal.

The Organizing Secretary, Dr. Asif Ali extended a vote of thanks.

The event reinforced AMU’s commitment to maintaining a strong alumni network and supporting professional development in architecture and interior design

स्वर्गीय डॉ. जाकिर हुसैन की 128वीं जयंती


जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने स्वर्गीय डॉ. जाकिर हुसैन की 128वीं जयंती मनाई

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भारत रत्न से सम्मानितभारत के तीसरे राष्ट्रपति और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व कुलाधिपति स्वर्गीय डॉ. जाकिर हुसैन की 128वीं जयंती मनाई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में स्थित उनकी समाधि पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। प्रार्थना सभा में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफकुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवीविश्वविद्यालय के अधिकारीछात्र और डॉ. जाकिर हुसैन के परिवार के सदस्य शामिल हुए।

 

8 फरवरी1897 को जन्मे जाकिर हुसैन ने इटावा स्कूल से पढ़ाई की और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमए किया। वे प्रोफेसर वर्नर सोम्बर्ट की देखरेख में बर्लिन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए सितंबर 1922 से फरवरी 1926 तक जर्मनी में रहेजिसे 1926 में सर्वोच्च सम्मान” से मंजूरी दी गई।

 

जर्मनी में अपने सहयोगियों डॉ. आबिद हुसैन और मोहम्मद मुजीब के साथ जाकिर हुसैन 1926 में जामिया आए। वे 22 वर्षों (1926-48) तक जामिया के कुलपति रहे। यह उनकी दूरदृष्टि ही थी जिसने वित्तीय और वैचारिक संकट के विकट समय में जामिया को एकजुट रखा और उन्होंने जामिया के आजीवन सदस्यों को बनाने में नेतृत्व कियाजिन्होंने जामिया को 20 साल की सेवा देने का संकल्प लिया। डॉ. जाकिर हुसैन के करियर की पहचान शिक्षा के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता और राष्ट्र निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका से थी।

 

उन्होंने 1948 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सहायता करने के लिए जामिया छोड़ दिया। वे बिहार के राज्यपालभारत के उपराष्ट्रपति और भारत के राष्ट्रपति बने। डॉ. जाकिर हुसैन का निधन 3 मई1969 को हो गया । वे पद पर रहते हुए मरने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति थे। उनके राष्ट्रपतित्व काल को उनकी विद्वतालोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता और शिक्षा की शक्ति में गहरी आस्था के लिए जाना जाता है।

 

डॉ. जाकिर हुसैन न केवल एक प्रख्यात भारतीय राजनीतिज्ञ थे अपितु वह एक शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी भी थे जिनका प्रभाव राजनीतिक सीमाओं से परे था। शिक्षा के क्षेत्र में उनके गहन योगदान एवं अधिक समतावादी और शिक्षित भारत के लिए उनका दृष्टिकोण आज भी प्रेरणादायी है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने स्वर्गीय डॉ. 

Thursday, February 13, 2025

SoPICON-2025 Conference,


AMU Faculty member and research scholar at SoPICON-2025 Conference,

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने 5 से 7 फरवरी, 2025 तक एम्स भोपाल में आयोजित सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया (सोपिकॉन-2025) के बाइसवें वार्षिक सम्मेलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस के कार्यकर्मों पर विशेष प्रभाव डाला। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशालाओं, वैज्ञानिक सत्रों और शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे फार्माकोविजिलेंस और दवा सुरक्षा अनुसंधान में एएमयू की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई। एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सैयद जियाउर रहमान ने सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया (सोपी) के सचिव के रूप में सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने वैज्ञानिक कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कई सत्रों की अध्यक्षता की, जिसमें स्वीडन के उप्साला मॉनिटरिंग सेंटर के सीईओ डॉ. पीटर हेल्मस्ट्रॉम का व्याख्यान भी शामिल था, जिसका विषय “एआई युग में दवाओं और टीकों का सुरक्षित उपयोगरू स्वचालित पीवी दुनिया में मानवीय अंतर्दृष्टि” था। उन्होंने “एएमसी एवं एमडीएमसी के अनुभव - जेएनएमसी में फार्माकोविजिलेंस गतिविधियाँ” शीर्षक से एक व्याख्यान भी प्रस्तुत किया जिसमें एएमयू में फार्माकोविजिलेंस पहलों के बारे में जानकारी साझा की गई। सम्मेलन में एएमयू के जूनियर रेजीडेंट और शोध विद्वानों ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। डॉ. आदित्य विक्रम सिंह ने राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस क्विज में तीसरा स्थान हासिल किया, जबकि डॉ. अभिनव तिवारी को “अल्जाइमर रोग में एंटीहाइपरटेंसिव एजेंटों का मूल्यांकनः टेल्मिसर्टन और निफेडिपिन पर प्रीक्लिनिकल अध्ययन” विषय पर उनकी मौखिक प्रस्तुति के लिए पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त, एएमयू के पीएचडी शोध छात्र जहांगीर आलम को ‘टर्शियरी केयर हॉस्पिटल में पेसमेकर प्रत्यारोपण के बाद प्रतिकूल घटनाओं का होनाः एक मैटेरियोविजिलेंस परिप्रेक्ष्य’ विषय पर उनके पोस्टर प्रेजेंटेशन के लिए प्रतिष्ठित ‘एसओपीआई उप्साला पुरस्कार-2025’ से सम्मानित किया गया। प्रो. रहमान के मार्गदर्शन में किए गए उनके शोध को व्यापक रूप से सराहा गया। डॉ. प्रतीक गणवीर, डॉ. शारिक आजमी, डॉ. अमृता कुमारी पांडे, डॉ. पुनीत पल्लीवाल और डॉ. स्वाति जी सहित अन्य एएमयू प्रतिभागियों ने भी फार्माकोविजिलेंस क्विज और अकादमिक चर्चाओं में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। सम्मेलन में अग्रणी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस के विशेषज्ञों ने दवा सुरक्षा में प्रगति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका और चिकित्सा उपकरण निगरानी में वास्तविक चुनौतियों पर चर्चा की। एएमयू की सक्रिय भागीदारी इसकी अकादमिक और अनुसंधान उत्कृष्टता को उजागर करती है, जो फार्माकोविजिलेंस और स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा में इसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत करती है।

Friday, January 31, 2025

Lifetime Achievement Award

 


            Prof. M Saud Alam Qasmi Conferred Lifetime Achievement Award                                                                                             by Jamitul Hidayah, Jaipur 

The Islamic scholar and former Dean, Faculty of Theology, Aligarh Muslim University (AMU), Professor M Saud Alam Qasmi, has been conferred with the Lifetime Achievement Award by Jamitul Hidayah, Jaipur.

While conferring the award, the Rector of Jamia, Maulana Fazlur Raheem Mujaddidi, praised Professor Qasmi as a distinguished scholar and lauded his books as a "treasury of India." He urged young scholars to draw inspiration from Professor Qasmi's academic legacy.

Editor of Tahzeebul Akhlaq, Professor Qasmi has authored 40 books and 400 articles in English, Urdu, and Arabic. A celebrated orator, he has held several prestigious roles at AMU and is associated with numerous academic institutions and editorial boards.

JMI Schools Admission: Application from 1st February

         


                                JMI Schools Admission Process for 2025-26 Starts: Prospectus Uploaded, Online                                                                               Application from 1st February

 

The admission prospectus for various schools at Jamia Millia Islamia (JMI) for the academic session 2025-26 has been made available on the website of the Controller of Examinations, JMI at http://jmicoe.in.

 

Online application forms for Jamia Senior Secondary School, Syed Abid Husain Senior Secondary School (including the Primary Section) (Self Finance), Jamia Girls Senior Secondary School (Self Finance), and Mushir Fatma Nursery School will be accessible starting from 1st February 2025. The last date for submitting the online application and a fee of Rs. 500/- is 21st February 2025. The application form for admission to these schools can be submitted online at the JMI website (https://admission.jmi.ac.in ). For further information, please refer to the University’s websites: 

www.jmi.ac.in  and www.jmicoe.in .

 

The application forms for the Balak Mata Centres of the University will be available from 5th March 2025, and the last date to submit the application form along with a fee of Rs. 50/- is 15th April 2025. Hard copies of the application form for admission to the Balak Mata Centres can be obtained at Matia Mahal, Qassabpura and Beriwala, and have to be submitted at the respective Centres.

 

Public Relations Office

Jamia Millia Islamia


Monday, January 20, 2025

मिनि मैराथन


                                   

  Prof Naima Khatoon with Mr Mohd Imran flagging off the MINI MARATHON                                                                 मिनि मैराथन  एएमयू ने 76वें गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत मिनि मैराथन के साथ की

अलीगढ़, 19 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आज कड़कड़ाती ठंड और कोहरे की धुंध के बीच यूनिवर्सिटी के एथेलेटिक्स मैदान पर आयोजित मिनि मैराथन में बड़ी संख्या में शामिल होकर छात्र छात्राओं ने देश भक्ति और एकता का संदेश देते हुए विश्वविद्यालय में सप्ताह भर के गणतंत्र दिवस समारोह की शुरूआत की जो 26 जनवरी को स्ट्रेची हाल में आयोजित होने वाले एक भव्य समारोह के साथ संपन्न होंगे।
कार्यक्रम का उद्घाटन एएमयू की कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने किया। उन्होंने एएमयू रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान आईपीएस और अन्य विश्वविद्यालय अधिकारियों के साथ मैराथन को हरी झंडी दिखाई। कुलपति ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए एकता और फिटनेस के मूल्यों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “यह मिनी-मैराथन केवल एक दौड़ नहीं है बल्कि यह उस लचीलेपन और एकता का प्रमाण है जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा कि आइए हम 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाते हुए इस भावना को आगे बढ़ाएं। उन्होंने यह भी आश्वस्त कि सभी प्रतिभागियों को प्रशंसा के प्रतीक के रूप में भागीदारी के प्रमाण पत्र प्राप्त होंगे।
मिनी मैराथन में धावकों के रूप में एएमयू रजिस्ट्रार, मोहम्मद इमरान (आईपीएस), और संकाय सदस्य प्रोफेसर पूनम चैहान भी एएमयू छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए शामिल हुईं। छात्रों की दौड़ एथलेटिक्स ग्राउंड से प्रारंभ होकर डक प्वाइंट सेंटेनरी गेट, शमशाद मार्केट, तस्वीर महल, एके तिब्बिया कालिज अस्पताल, लाल डिग्गी सर्किल और शिक्षा विभाग होती हुई 6 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए एथेलेटिक मैदान पर समाप्त हुई। जबकि लड़कियों की 4 किलोमीटर की दौड़ डक प्वाइंट, वाइस-चांसलर लॉज, बाब-ए-सैयद गेट, यूनिवर्सिटी सर्कल और शिक्षा विभाग से होते हुए ऐथेलेटिक्स मैदान पर संपन्न हुई।
मिनि मैराथन के बालक वर्ग में कमर आबिदीन प्रथम, हैदर अब्बास द्वितीय और कृष्णा सिंह तीसरे स्थान पर रहे। बालिका वर्ग में, पूर्णिमा शर्मा ने शीर्ष स्थान हासिल किया जबकि वंशिका राज और सारिका शर्मा ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। विजेताओं को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
खेल समिति के सचिव प्रो. एस. अमजद अली रिजवी ने विजेताओं की घोषणा की और मेहमानों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन मजहरुल कमर ने किया।
इस अवसर पर प्रो. एम. वसीम अली, प्रो. जकी अनवर सिद्दीकी, प्रो. शकील अहमद, प्रो. मोहम्मद शमीम और प्रो. जी.एस हाशमी डॉ. जमील अहमद अहमद सहित गेम्स कमेटी के उप निदेशक अनीस उर रहमान खान, सहायक निदेशक अरशद महमूद तथा बुशरा गयाज़ सहित एएमयू स्कूलों के एथलेटिक और व्यायाम शिक्षक भी मौजूद रहे।

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