Thursday, July 24, 2025

Cyber Club at Jamia Millia Islamia

 


Special Commissioner of Delhi Police delivers awareness lecture on Cyber Security to commemorate the launch of Cyber Club at Jamia Millia Islamia

Mr. Devesh Chandra Srivastva, the Special Commissioner of Police (Crime Division), Delhi Police, delivered an important lecture on Cyber Security today at the Faculty of Engineering & Technology Auditorium, Jamia Millia Islamia (JMI). This lecture was part of the inaugural ceremony for the ‘Cyber Club,’ which has been established under the auspices of the Office of the Dean Students’ Welfare of the university. The Hon’ble Vice Chancellor of Jamia Millia Islamia, Prof. Mazhar Asif, served as the Chief Patron, while Prof. Md. Mahtab Alam Rizvi, the Registrar of JMI, acted as the Patron for the event. Dr. Hemant Tiwari, DCP of the South East District of Delhi Police, was present as special guest. The event saw attendance from several IPS officers, senior Delhi Police officials, Deans, Heads of Departments, faculty members, non-teaching staff, and students from both the university and affiliated schools.

The event was effectively coordinated with the guidance of Prof. Neelofer Afzal, Dean of Students’ Welfare, Mr. S.A. Rashid, Security Advisor at JMI (Former DCP, Delhi Police), along with the club's team members, which included Dr. Shane Kazim Naqvi, Dr. Musheer Ahmad, and Dr. Umaima, the Convener of the club.

Prof. Neelofer Afzal, Dean of Students’ Welfare and Advisor of the Cyber Club, stated, “We are proud to inaugurate the Jamia Cyber Club, a student-led initiative under the Office of the Dean Students’ Welfare, aimed at promoting cyber awareness and digital hygiene through training sessions, workshops, and expert talks.” She further stated “The club seeks to foster responsible digital citizenship by encouraging ethical online behavior and facilitating discussions on cyber law, digital rights, AI risks, and emerging threats. Importantly, the Cyber Club will collaborate with the Intelligence Fusion and Strategic Operations (IFSO) unit of the Delhi Police, bridging academic learning with practical expertise in cyber security.”

 

Mr. Devesh Chandra Srivastva, during his lecture, illuminated the audience on the different facets of cybercrime and the methods to protect against them. He acknowledged that the university established the Cyber Club and described it as a necessity of the present time as it will help in making the campus cyber secure. He said “I believe that Jamia can serve as a role model for others due to the high rankings it has achieved in various accreditations, NIRF, and other rankings. I think Jamia should exemplify this role model status through its cyber club, aiming to ensure that the entire university campus is cyber secure or cyber safe”.

In a compelling PowerPoint presentation, Mr. Srivastva highlighted the increasing prevalence of cyber crimes and emphasized the necessity for individuals to exercise caution in order to avoid becoming victims of such offenses.  He provided a comprehensive explanation regarding the various types of cyber crimes that are currently occurring, their trends, methods for prevention, and the procedures for reporting such offenses.

In a special address to students, Dr. Hemant Tiwari, the Deputy Commissioner of Police for the South East District of Delhi, discussed the precautions necessary when using social media. He highlighted that mule bank accounts have emerged as a significant issue and elaborated on the measures to avoid falling victim to such accounts. Dr. Tiwari urged students to exercise caution and refrain from sharing personal information with individuals in the virtual realm, particularly to avoid developing emotional dependencies.

Prof. Md. Mahtab Alam Rizvi, the Registrar of Jamia Millia Islamia, commended the initiatives taken by the DSW office in establishing the Cyber Club, which aims to raise awareness regarding cyber crime among all university stakeholders. He elaborated on the different objectives for which the Cyber Club was established and expressed his hope that it would contribute to fostering a more cyber secure campus.

Prof. Mazhar Asif, the Hon’ble Vice Chancellor of Jamia Millia Islamia, emphasized in his presidential address that individuals who engage in financial crimes within the cyber realm exploit the greed of their victims. He stated that individuals ought to be self-satisfied and should avoid becoming ensnared by greed, as this could lead them to fall prey to cyber criminals. He encouraged everyone to strive to be good human beings, to avoid negativity and harmful thoughts, and to refrain from sharing personal information with strangers unless it is absolutely necessary.

Dr. Musheer Ahmad, a member of the Cyber Club, expressed gratitude through the vote of thanks. The event concluded with the gathering singing the National Anthem.

 

लेटेंट टीबी की जांच ‘सीवाई-टीबी’ टेस्ट अब निःशुल्क

 जेएन मेडिकल कॉलेज में लेटेंट टीबी की जांच के लिए उन्नत सीवाई-टीबी टेस्ट अब निःशुल्क उपलब्ध होगा

Prof. Mohammad Shameem is the Chairperson of the Department of TB and Respiratory Diseases at Aligarh Muslim University (AMU)He is also known for organizing patient education camps, free medical checkups, and leading a Smoking Cessation Clinic, where he has helped many people quit smoking. He is regularly featured in local media for his expert opinions on health issues. 

                                                                                                                                                                       



अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) ने भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप लेटेंट टीबी (छिपी हुई तपेदिक) की जांच के लिए एक नई और उन्नत जांच प्रणाली 
 सीवाई-टीबी टेस्ट की शुरुआत की है। यह पहल देश में टीबी उन्मूलन अभियान को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जेएनएमसी के चेस्ट और टीबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद शमीम ने जानकारी दी कि यह टेस्ट अब जेएनएमसी के ओपीडी-15 में सभी कार्य दिवसों पर सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक हाई-रिस्क (अधिक जोखिम वाले) मरीजों के लिए पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध होगा। इसका उद्देश्य टीबी संक्रमण को समय रहते पहचानकर गंभीर बीमारी में बदलने से रोकना है।

सीवाई-टीबी’ टेस्ट एक आधुनिक स्किन टेस्ट हैजो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के संक्रमण की अधिक सटीक पहचान करता हैखासकर उन लोगों में जिन्हें पहले बीसीजी का टीका लगाया गया हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो। पारंपरिक मंटू टेस्ट की तुलना में यह टेस्ट ज्यादा भरोसेमंद है क्योंकि यह बीसीजी वैक्सीन में न पाए जाने वाले विशेष एंटीजन - ईएसएटी-6 और सीएफपी-10 का उपयोग करता हैजिससे जांच की सटीकता और संवेदनशीलता बढ़ती है।

विभाग के डॉ. नफीस ए. खान ने बताया कि यह टेस्ट खासकर एचआईवीमधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रसित अथवा कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों में टीबी की प्रारंभिक पहचान के लिए एक प्रभावी साधन है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट हैऔर यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो टीबी की पुष्टि के लिए छाती का एक्स-रे या बलगम की जांच जैसे अन्य परीक्षण आवश्यक हैं।

इस टेस्ट की प्रक्रिया सरल हैत्वचा में हल्का इंजेक्शन दिया जाता है और 48 से 72 घंटे बाद प्रतिक्रिया देखी जाती है। अगर 5 मिमी या अधिक की सूजन आती हैतो इसे टीबी संक्रमण का संकेत माना जाता है।

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत भारत सरकार के मिशन को आगे बढ़ाते हुए जेएनएमसी में सीवाई-टीबी’ टेस्ट की शुरुआत एएमयू की ओर से जनस्वास्थ्य नवाचार और समय रहते उपचार की दिशा में एक बड़ी पहल है। लेटेंट टीबी के मामलों की पहचान से संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने और उच्च जोखिम वाले लोगों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।

जेएनएमसी की टीम ने पात्र मरीजों से आग्रह किया है कि वे इस अत्याधुनिक और निःशुल्क जांच सुविधा का लाभ उठाएँजिससे टीबी उन्मूलन की दिशा में एएमयू का योगदान और भी प्रभावी हो सके।

Monday, July 21, 2025

PROF. UROOS ILIYAS

 प्रो. उरूस इलियास एएमयू के सरोजिनी नायडू हॉल की नई प्रॉवोस्ट नियुक्त


अलीगढ़, 19 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रो. उरूस इलियासवन्यजीव विज्ञान विभागको सरोजिनी नायडू (एस.एन.) हॉल की नई प्रॉवोस्ट नियुक्त किया है। यह नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम 1920 की धारा 19(3) के अंतर्गत की गई है और तत्काल प्रभाव से लागू है।

प्रो. अफशान बेपीरियोडोंशिया और कम्युनिटी डेंटिस्ट्री विभाग सेउनके स्वयं के अनुरोध पर इस पद से मुक्त कर दिया गया है।

प्रो. उरूस इलियास का कार्यकाल दो वर्षों के लिए या अगले आदेश तकजो भी पहले होरहेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 17 जुलाई 2025 को इस नियुक्ति से संबंधित आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है।

एसटीएस स्कूल 1987 बैच की पहल रंग लाई

 


सटीएस स्कूल 1987 बैच की पहल रंग लाईः एसएसजीई ने 705 छात्रों को दी छात्रवृत्ति, स्कूलों को मिला फर्नीचर और स्मार्ट क्लास की सौगात

अलीगढ़, 19 जुलाईः मिंटो सर्किल हाई स्कूल की 1987 बैच की पहल पर गठित स्कूल सपोर्ट ग्रुप फॉर एजुकेशन (एसएसजीई) ने एक बार फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्कूल छात्रों के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। लगातार चैथे वर्ष एसएसजीई ने 705 मेधावी और जरूरतमंद छात्रों को 53,85,000 रूपये की छात्रवृत्तियाँ प्रदान की हैंजो उनकी शिक्षण शुल्क को कवर करती हैं। यह छात्रवृत्तियाँ एएमयू के वित्त कार्यालय के माध्यम सेअलीगढ़ एजुकेशन एंडोमेंट फंड (यूएसए) और इब्ने सीना अकादमी (भारत) के सहयोग से वितरित की गईं।

शिक्षण शुल्क के अतिरिक्तइब्ने सीना अकादमी द्वारा एसएसजीई के माध्यम से छात्रों को लगभग 23,00,000 रूपये के यूनिफॉर्मजूतेबैग और पाठ्यक्रम सामग्री भी वितरित की गई। चयनित छात्रों की सूची संबंधित स्कूलों के प्राचार्यों द्वारा दी गई थीजिसकी पुष्टि छात्रों के अभिभावकों से संवाद कर की गई।

इस वर्ष एसएसजीई ने स्कूलों को ढांचागत सुधारों के लिए भी सहायता प्रदान की। अब्दुल्ला प्राइमरी स्कूल और मिंटो सर्किल को 5,00,000 रूपये मूल्य का फर्नीचर भेंट किया गया। कुल मिलाकर एसएसजीई की इस वर्ष की सहायता राशि 81,85,000 रूपये रहीजो पिछले वर्ष के 33,87,511 रूपये से कहीं अधिक है।

शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में एसएसजीई ने अहमदी स्कूल में टैक्टाइल टाइल्स और ब्रेल प्रिंटिंग सुविधा स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही मिंटो सर्किल के एक कक्षा को स्मार्ट क्लासरूम में बदलने की योजना भी बनाई गई है।

एसएसजीई की शुरुआत वर्ष 2021 में मिंटो सर्किल हाई स्कूल की 1987 बैच के पूर्व छात्रों ने की थी। तब से यह समूह न केवल आर्थिक सहायता बल्कि छात्रों को मार्गदर्शनपरामर्शऔर विभिन्न सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भागीदारी का अवसर भी दे रहा है। इनमें एएसएसईटी (अमेरिकन सोसाइटी फॉर साइंस एंड एजुकेशन) द्वारा प्रायोजित विज्ञान परियोजनाएँक्विज़ प्रतियोगिताएंऔर कौशल विकास कार्यक्रम शामिल हैं। कई छात्र इन गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं।

अलीगढ़ में एसएसजीई टीम का नेतृत्व प्रो. सुहैल साबिरडॉ. मंज़र जमालप्रो. नदीम खलीलप्रो. सैयद जियाउर रहमानएसो. प्रो. अदनान हाफिजफरीद नाज़िम फारूक़ीअहमद रज़ाडॉ. रेहाना अहमदऔर डॉ. सादिया अयूब कर रहे हैं।

एसएसजीई अपनी सतत पहलों के माध्यम से छात्रों को बेहतर शैक्षणिक अवसर प्रदान करने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैजिससे आने वाली पीढ़ी के लिए उज्जवल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

HELP CENTER at JN Medical College

 


Prof Naima Khatoon with Prof Habib Raza, Prof S Amjad Ali Rizvi and others inaugurating the help center at JN Medical College 

जेएन मेडिकल कॉलेज में सहायता केन्द्रों का उद्घाटन एवं वृक्षारोपण

अलीगढ़, 19 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने आज जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रसूति और स्त्री रोग विभाग (ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी) ओपीडी ब्लॉक और ट्रॉमा सेंटर में नए हेल्प सेंटर का उद्घाटन किया। इसके अलावा ट्रॉमा सेंटर में वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गयाऔर इसके बाद विभागाध्यक्षों और संकाय सदस्यों के साथ बैठक की गई।

इन सहायता केन्द्रों का उद्देश्य मरीजों और उनके परिजनों को बेहतर चिकित्सा मार्गदर्शन और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में अब मरीज अपनी पंक्ति का नंबर डिस्प्ले बोर्ड (प्रदर्शन बोर्ड) पर दिखाई देने पर अपना रजिस्ट्रेशन स्लिप प्राप्त कर सकेंगेजिससे रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इसी तरहओपीडी ब्लॉक में सहायता केन्द्र स्ट्रेचर या टॉली पर आने वाले मरीजों की सहायता करेगाजबकि ट्रॉमा सेंटर सहायता केन्द्र आपातकालीन देखभाल मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

बैठक के दौरान कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने जेएन मेडिकल कॉलेज के विकास पर चर्चा कीजिसमें बुनियादी ढांचे में सुधार और रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सहायता केन्द्रों की स्थापना से देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने चिकित्सकों की मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद उत्कृष्ट सेवा प्रदान की है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय प्रशासन चिकित्सकों के पदोन्नत और अन्य मुद्दों को गंभीरता से सुलझा रहा है।

फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीनप्रिंसिपल और सीएमएस प्रोफेसर एम. हबीब रजा ने जेएन मेडिकल कॉलेज को देश के शीर्ष पांच मेडिकल कॉलेजों में शामिल करने का अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में हर साल एक मिलियन से अधिक मरीजों का इलाज किया जाता हैऔर 55 हजार से अधिक मरीजों को भर्ती तथा 35 हजार से ज्यादा सर्जरी होती हैं। इसके साथ हीउन्होंने एंडोक्रिनोलॉजीकार्डियोथोरेसिक सर्जरी और पीडियाट्रिक सर्जरी में डीएम और एमसीएच पाठ्यक्रमों की शुरुआत की घोषणा की और नए विभागों की स्थापना की बात कीजिससे कॉलेज का विस्तार होगा।

कार्यक्रम की शुरुआत कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर शाहीनप्रसूति और स्त्री रोग विभाग द्वारा स्वागत भाषण से हुईऔर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रोफेसर एस. अमजद अली रिजवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. शाहबाज हबीब फारदी ने किया। इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्षोंचिकित्सकोंएडीएमएस जीएमएसनर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ ने भाग लिया।

Sunday, July 13, 2025

Prof Aftab Alam Appointed Dean,


                            प्रो. आफताब आलम एएमयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संकाय के डीन नियुक्त


 Prof Aftab Alam from the Department of Strategic and Security Studies at Aligarh Muslim University has been appointed Dean of the Faculty of International Studies for a two-year term, effective July 7, 2025.

Prof Alam, currently serving as Chairman of the Department of Strategic and Security Studies, is a Professor of International Relations. He holds MA, M.Phil., and Ph.D. degrees in Political Science from AMU, and an LLM in International Human Rights Law from the University of Essex, UK. He is also a recipient of the prestigious Chevening Scholarship awarded by the British Government.

With over 25 years of teaching and research experience, Prof Alam has supervised several M.Phil. and Ph.D. candidates, primarily in the fields of human rights and international relations. He has led a UGC-sponsored major research project on the educational rights of minorities and has actively participated in numerous national and international conferences, presenting papers and chairing sessions.लीगढ़, 7 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के रणनीतिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग के प्रो. आफताब आलम को अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संकाय का डीन नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति दो वर्ष की अवधि के लिए की गई है जो 7 जुलाई 2025 से प्रभावी होगी।

प्रो. आफताब आलम वर्तमान में रणनीतिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष हैं। वे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हैं उन्होंने एएमयू से राजनीति विज्ञान में एमएएम.फिल. और पीएच.डी. की डिग्रियाँ प्राप्त की हैंसाथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्सयूके से एल.एल.एम. (अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून) में भी डिग्री प्राप्त की है। उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिष्ठित चीवेनिंग स्कॉलरशिप भी प्रदान की गई थी।

प्रो. आलम को 25 वर्षों से अधिक का शिक्षण और शोध अनुभव प्राप्त है। उन्होंने मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में कई एम.फिल. और पीएच.डी. शोधार्थियों का निर्देशन किया है। वे अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक अधिकारों पर आधारित यूजीसी प्रायोजित एक प्रमुख शोध परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं और सत्रों की अध्यक्षता भी की है।

Research Methodology Course in AMU


 Prof Shahab Fazal, Prof Salauddin Qureshi, Prof Mohd Gulrez and Dr Mujibullah Zubairi with participants during the valedictory function of Research Methodology Course Concludes at Department of Geog

एएमयू के भूगोल विभाग में रिसर्च मैथाडालोजी पाठ्यक्रम का समापन


अलीगढ़, 9 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में आज भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय सामाजिक विज्ञानों में शोध पद्धति पाठ्यक्रम का समापन हो गया। जिसमें प्रतिभागियों को सर्टीफिकेट वितरित किये गये। इस अकादमिक कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों और शिक्षकों की शोध क्षमताओं को मजबूत करना था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने विभाग की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के पाठ्यक्रम तकनीकी विशेषज्ञता तो बढ़ाते ही हैंसाथ ही बौद्धिक जिज्ञासा को भी प्रोत्साहित करते हैं और विभिन्न विषयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हैंजो आज के समय में प्रभावशाली शोध के लिए अत्यंत आवश्यक है।

परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुजीब उल्लाह जुबेरी ने शोध पद्धति प्रशिक्षण की परिवर्तनकारी शक्ति पर बल देते हुए कहा कि तेजी से बदलते शैक्षणिक परिदृश्य में इस तरह की पहल अनिवार्य हो गई है ताकि शोधार्थियों को वैज्ञानिक तकनीकों से लैस किया जा सके और अंतर्विषयी अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके।

अपने संबोधन में राष्ट्रीय भौगोलिक संघभारत के अध्यक्ष प्रो. सलाहुद्दीन कुरैशी ने सामाजिक विज्ञानों में विकसित हो रही शोध प्रविधियों की चर्चा की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम एक मजबूत शोध संस्कृति को पोषित करते हैं और शोधार्थियों को आधुनिक विश्लेषणात्मक उपकरणों से सशक्त बनाते हैं।

समापन भाषण में पाठ्यक्रम समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. शाहाब फजल ने आईसीएसएसआर का आभार व्यक्त किया और सभी विशिष्ट अतिथियों व प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

पाठयक्रम की सह-समन्वयक डॉ. सालेहा जमाल ने पाठ्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कीजिसमें विभिन्न मॉड्यूलविशेषज्ञ व्याख्यानव्यावहारिक सत्र और फील्ड रिपोर्ट शामिल रहे। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने इन सत्रों से भरपूर लाभ उठाया।

सत्र का संचालन डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी ने कियाजिन्होंने औपचारिक विमर्श को प्रभावशाली शेर-ओ-शायरी के साथ जोड़ा। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और पाठ्यक्रम से मिली सीख और यादों को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत किया। इस पाठयक्रम में देशभर के अनेक विश्वविद्यालयों से तीस से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।


एएमयू में विश्व जनसंख्या दिवस

 

एएमयू में विश्व जनसंख्या दिवस पर व्याख्यान का आयोजन

अलीगढ़, 11 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रौढ़ सतत् शिक्षा एवं विस्तार केन्द्र द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गयाजिसका उद्देश्य वैश्विक जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूकता फैलाना था। यह व्याख्यान सामाजिक कार्य विभाग के पूर्व अध्यक्षप्रोफेसर नसीम अहमद खान द्वारा प्रस्तुत किया गया।

प्रो. खान ने बताया कि विश्व जनसंख्या दिवस प्रतिवर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता हैताकि जनसंख्या वृद्धि और उसके सामाजिक व पर्यावरणीय प्रभावों पर ध्यान आकर्षित किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिवस की शुरुआत 1989 में हुई थी और तब से यह दिन महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों और चुनौतियों को रेखांकित करने का एक प्रमुख मंच बन चुका है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्व की जनसंख्या 8 अरब से अधिक हो चुकी हैऔर अनियंत्रित वृद्धि पर्यावरणीय स्थिरतासंसाधनों की उपलब्धता और जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल रही है। प्रो. खान ने यह भी बताया कि जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव डालती है। हालांकिविश्व के विभिन्न देशों की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिए अनेक उपाय अपनाए हैंफिर भी स्वास्थ्य सेवाओंआवासशिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

उन्होंने एक न्यायपूर्ण और आशावान विश्व में युवा अपनी पसंद का परिवार बना सकें- युवाओं को सशक्त बनाना” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युवाओं को प्रजनन से जुड़े निर्णयों के लिए अधिकारसंसाधन और अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

कार्यक्रम का समापन केंद्र के निदेशक डॉ. शमीम अख्तर के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

Friday, July 11, 2025

जेएमआई में नए मूल्यांकन हॉल का उद्घाटन

 


परीक्षा परिणाम की घोषणा में तेजी लाने के लिए जेएमआई में नए मूल्यांकन हॉल का उद्घाटन80% प्रवेश परिणाम पहले ही घोषित करके जेएमआई निकला अन्य संस्थानों से आग

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) ने विश्वविद्यालय परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं दोनों के परिणाम घोषणा प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से परीक्षा नियंत्रक के कार्यालय में एक नया मूल्यांकन हॉल का उद्घाटन किया। नए मूल्यांकन हॉल का उद्घाटन जेएमआई के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ़ और रजिस्ट्रारप्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने परीक्षा नियंत्रक (सीओई)जेएमआईप्रो. पवन कुमार शर्मा और उप-परीक्षा नियंत्रकजेएमआईप्रो. एहतेशामुल हक की उपस्थिति में किया। यह ध्यान देने योग्य है कि वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया के दौरानजेएमआई पहले ही 80% से अधिक प्रवेश परिणाम घोषित करके अन्य संस्थानों से काफी आगे है।

 

सीओई कार्यालय भवन की दूसरी मंजिल पर नवनिर्मित बहुउद्देश्यीय हॉल को पर्यवेक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। हॉल पूरी तरह से वातानुकूलित है और इसमें स्टोरेज रैक और बैठने की व्यापक व्यवस्था हैजो एक ही छत के नीचे सभी प्रवेश मूल्यांकन और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए एक समर्पितपेशेवर और वांछित स्थान प्रदान करता है।

 

परीक्षा परिणाम जारी होने की तीव्र गति पर अपनी खुशी और संतुष्टि व्यक्त करते हुए और मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए एक भव्य सुविधा के त्वरित बदलाव की सराहना करते हुएप्रो. आसिफ़ ने कहा, "मैं सीओईडिप्टी सीओई और सीओई कार्यालय में अत्यधिक कुशल प्रशासनिक और कार्यालय कर्मचारियों का आभारी हूंजिनकी पिछले महीनों की कड़ी मेहनत ने 2025 के प्रवेश की घोषणा को संभव बनाया है।" प्रो. आसिफ ने कहा, "मैं जेएमआई पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मकताअखंडता और खुशी का माहौल बनाना चाहता हूं।" उन्होंने कहा कि एनईपी मसौदा समिति के सदस्य के रूप मेंउन्होंने महसूस किया, "समय पर वेतन का वितरण और सही समय पर पदोन्नतिदो ऐसे कारक थे जो विश्वविद्यालय के संकाय और कर्मचारियों को प्रेरित करने के केंद्र में थे ताकि उनकी क्षमता को अधिकतम किया जा सके। यह वह दर्शन है जिसके साथ मेरा प्रशासन काम कर रहा है। परिणाम सभी के सामने हैं।" उन्होंने कहा।

 

प्रो. रिज़वी ने कहा, "हमारा आदर्श वाक्य 'एक जामियाएक परिवारहोना चाहिएजो तभी साकार होगा जब हमारे शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी विश्वविद्यालय के लिए सर्वश्रेष्ठ देने के लिए हाथ मिलाएंगे ताकि बहुत जल्द जेएमआई अपनी एनआईआरएफ रैंकिंग में तीसरे से दूसरे स्थान पर पहुंच सके।" प्रो. रिज़वी ने अपना विश्वास व्यक्त किया कि, "नए हॉल की शुरुआत साथअब हमारे मूल्यांकनकर्ताओं को सर्वोत्तम सुविधाएँ उपलब्ध होंगी ताकि पूरी परीक्षा मूल्यांकन प्रक्रिया को और तेज़ और सुव्यवस्थित किया जा सके।" प्रो. रिज़वी ने इस प्रवेश प्रक्रिया में बनाए गए उच्च स्तर की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए पूरे प्रो. शर्मा, प्रो. हक़ तथा जेएमआई बिरादरी को बधाई दीउन्होंने कहा "यह उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय ने अपनी इन-हाउस सुविधा और कर्मचारियों का उपयोग करके और किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी के बिना पूरी मल्टी-सिटी प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया को स्वयं ही संचालित किया। न केवल यह जेएमआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैबल्कि यह अभूतपूर्व भी है।" प्रो. रिज़वी ने दोहराया। उन्होंने सी.ओ.ई.डिप्टी सी.ओ.ई., सभी डीन, विभागाध्यक्षों, निदेशकों, फैकल्टी मेम्बर्स, नॉन टीचिंग स्टाफ और सी.ओ.ई. कार्यालय के समस्त स्टाफ द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना भी की।

 

परीक्षा नियंत्रक प्रो. शर्मा ने सीओई कार्यालय में प्रवेश और परीक्षा से संबंधित दो अनुभागों में चल रहे कार्यों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं के समय पर मूल्यांकन और अंक जमा करने के लिए जेएमआई बिरादरीविशेष रूप से संकाय सदस्यों को धन्यवाद दियाजिससे परिणामों की शीघ्र घोषणा संभव हो सकी।

 

अपने स्वागत भाषण मेंपरीक्षा उप नियंत्रक प्रो. एहतेशामुल हक ने उपस्थित लोगों को बताया कि मूल्यांकन हॉल की स्थापना और जीर्णोद्धार का विचार माननीय कुलपति और रजिस्ट्रारजेएमआई का थाऔर उनके अटूट समर्थन और प्रतिबद्धता के कारण यह रिकॉर्ड समय में पूरा हो गया। प्रो. हक ने यह भी बताया कि सत्र 2025-26 के लिए प्रवेश प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और देश के अन्य विश्वविद्यालयों से बहुत आगे है।

 

उद्घाटन से पहले कुलपतिरजिस्ट्रारसीओई और डिप्टी सीओई ने सीओई कार्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनील ने किया। कार्यक्रम का समापन डॉ. खालिद रजा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

DR. Aftab Alam

 

एएमयू शिक्षक डॉ. आफताब आलम की यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क (यूके) में ग्लोबल साउथ फेलो के रूप में की प्रतिष्ठित शैक्षणिक यात्रा

अलीगढ़, 10 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडीइतिहास विभाग में प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व के सहायक प्रोफेसर डॉ. आफताब आलम ने हाल ही में यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक दौरा पूरा किया। यह यात्रा उन्होंने ग्लोबल साउथ फेलो के रूप में आमंत्रित किए जाने के तहत की।

अपने प्रवास के दौरान डॉ. आलम ने यॉर्क विश्वविद्यालय के पुरातत्व तथा पर्यावरण और भूगोल विभागों के वर्तमान और आगामी प्रमुखों सहित कई फैकल्टी सदस्यों से अकादमिक संवाद किया। उन्होंने इन विभागों से संबद्ध सस्टेनेबिलिटी विशेषज्ञ डॉ. एडम एस. ग्रीन के साथ भी शोध सहयोग किया। उनका यह अंतःविषयक शोध प्राचीन पुरातात्विक निष्कर्षों को आधुनिक पर्यावरणीय चुनौतियों से जोड़ते हुए सतत विकास की दिशा में नई अंतर्दृष्टियाँ प्रदान करता है।

डॉ. आलम ने यॉर्क विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल पार्टनरशिप्स की डीन डॉ. हीदर निवेन से भी मुलाकात कीजिसमें संस्थागत सहयोग को स्थायी रूप से आगे बढ़ाने के संभावित मार्गों पर चर्चा हुई।

यॉर्क में उन्होंने सिंधु मैदान का पहला नगरीकरण और गंगा मैदान का दूसरा नगरीकरणः संबंधोंविरासतों और मानव-पर्यावरण अंतःक्रिया की समझ’ विषय पर बायोआर्क टीम को एक व्याख्यान भी दिया।

दक्षिण एशियाई धरोहर अध्ययनजीआईएस (ज्योग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम्स) और रिमोट सेंसिंग में विशेषज्ञता रखने वाले डॉ. आलम गंगा मैदान और सिंधु घाटी में व्यापक क्षेत्रीय अध्ययन कर चुके हैं। उनका शोध भारतीय उपमहाद्वीप में प्रारंभिक नगरीकरण और मानव-पर्यावरण संबंधों की समझ में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

उनकी यह यात्रा यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के ग्लोबल साउथ एशिया प्रोग्राम के तहत प्रायोजित थीजो समानता पर आधारित अकादमिक साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर सहयोगात्मक अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है।

सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडीइतिहास विभाग के अध्यक्ष और समन्वयक प्रो. हसन इमाम ने कहा कि डॉ. आलम की यह भागीदारी एएमयू की वैश्विक शैक्षणिक सहभागिता और अंतःविषयक अनुसंधान की प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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