एएमयू के मोहम्मद अमानउल्लाह फारूकी और संतोष जीएम ने साउथ कोरिया में आयोजित एशियन चैम्पियनशिप में भारतीय टीम को रजत पदक दिलाया
Thursday, August 7, 2025
एएमयू : एशियन चैम्पियनशिप में भारतीय टीम को रजत पदक दिलाया
TEACHERS TRAINING
Mission Teacher Training Centre, Jamia Millia Islamia, inaugurates a multidisciplinary refresher course on 'Artificial Intelligence: AI as Catalyst for Academic Synergy'
دفتر افسراعلی تعلقات عامہ
جامعہ ملیہ اسلامیہ
پریس ریلیز
مالویہ مشن ٹیچر ٹریننگ سینٹر،جامعہ ملیہ اسلامیہ میں ’مصنوعی ذہانت:تعلیمی مطابقت کے لیے اے آئی بطور عمل انگیز‘
کے موضوع پر این بین علومی ریفریشر کورس کا افتتاح
New Delhi, August 06, 2025
مالویہ مشن ٹیچر ٹریننگ سینٹر (ایم ایم ٹی ٹی سی)جامعہ ملیہ اسلامیہ نے’مصنوعی ذہانت: تعلیمی مطابقت کے لیے اے آئی بطور عمل انگیز‘ کے موضوع پر آج مورخہ چھ اگست تا بائیس اگست دوہزار پچیس دوہفتے کا ایک دو ہفتے کا بین علومی ریفریشر کورس کاافتتاح کیا ہے جس میں اکیس صوبوں اور ہندوستان کے مختلف اعلی تعلیمی اداروں کے اکیانوے شرکا حصہ لے رہے ہیں۔
پروگرام کی ابتدا شرکا کے استقبال اور ایم ایم ٹی ٹی سی کی اعزازی ڈائریکٹر پروفیسر کلوندر کور اور ڈاکٹر شہلا ترنم ایم ایم ٹی ٹی سی کی جانب سے ریفریشر کورس کے تین کوآرڈی نیٹر یعنی سرفراز مسعود،ڈپارٹمنٹ،کمپوٹر انجینرنگ،پروفیسر منصاف عالم اور ڈاکٹر خالد رضا شعبہ کمپوٹر سائنس جامعہ ملیہ اسلامیہ کے تعارف سے ہوئی۔ افتتاحی پروگرام کے مہمان اعزازی پروفیسر تنویر احمد ایڈیشنل ڈائریکٹر،ایف ٹی کے۔سی آئی ٹی نے روز مرہ کی زندگی میں اے آئی کی پیش رفتوں کی نفی یا گریز کرنے کے بجائے ان کی اہمیت پر اظہار خیال کیا۔انھوں نے انجینرئنگ،ہیلتھ کیئر،مالیات،تعلیم اور مینجمنٹ جیسے مختلف اہم شعبوں سے مثالیں دیں جہاں اے آئی ماڈلز سماج کے لیے بڑے پیمانے پر اہم ثابت ہورہے ہیں۔
افتتاحی پروگرام کے ممتاز مقرر پروفیسرخالد رجا،دین،اسکول آف کمپوٹر سسٹم سائنسز،جے این یو، نئی دہلی نے شرکا کے سامنے اے آئی کی مثبت،منفی اور بد ترین ورژن سمیت اس کی مبادیات اور اس کی بنیادی باتیں رکھیں اور ان چیلینجز سے نمٹنے کے طور طریقے بھی بتائے۔
ڈاکٹر خالد رضا کے اظہار تشکر اور گروپ تصویر کے ساتھ پروگرام اختتام پذیر ہوا۔
Saturday, August 2, 2025
एएमयू की आफरीन जबीं बनीं इंग्लिश चैनल पार करने वाली छात्रा
एएमयू की आफरीन जबीं बनीं इंग्लिश चैनल पार करने वाली विश्वविद्यालय की पहली छात्रा मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए यह गौरवपूर्ण क्षण है, जब बीपीएड की छात्रा आफरीन जबीं ने इंग्लिश चैनल तैरकर पार कर इतिहास रच दिया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली एएमयू की पहली छात्रा हैं।
29 जुलाई, 2025 को आफरीन ने डोवर (यूके) से कैप ग्रिस (फ्रांस) तक की 34 किलोमीटर की एकल यात्रा को 13 घंटे 13 मिनट में पूरा किया और 11 डिग्री सेल्सियस तापमान के ठंडे पानी को मात देकर उनहोंने यह इतिहास रचा। उन्होंने यह तैराकी लंदन समयानुसार प्रातः 3ः45 बजे शुरू की थी। तेज धाराओं के बीच यह चुनौतीपूर्ण प्रयास आफरीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर के सहनशीलता वाले तैराकों की विशिष्ट श्रेणी में शामिल करता है और एएमयू, उनके गृह राज्य पश्चिम बंगाल तथा पूरे भारत के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।
पश्चिम मिदनापुर के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली आफरीन की यह यात्रा दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन और संकल्प की मिसाल है। इस उपलब्धि से पहले ही वह ओपन वॉटर स्विमिंग में खुद को स्थापित कर चुकी थीं। उन्होंने विद्यासागर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व तीन बार ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एक्वाटिक चैम्पियनशिप में किया, दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पश्चिम बंगाल की ओर से प्रतिस्पर्धा की और 13, 21 और 24 किलोमीटर की लंबी दूरी की तैराकियां सफलता से पूरी कीं। एएमयू में दाखिला लेने से पूर्व उनका सबसे उल्लेखनीय कीर्तिमान गंगा नदी में आयोजित 81 किलोमीटर की विश्व की सबसे लंबी तैराकी प्रतियोगिता में लड़कियों की श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त करना रहा।
एएमयू की छात्रा के रूप में आफरीन की यह उपलब्धि व्यक्तिगत ही नहीं, विश्वविद्यालय के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस ऐतिहासिक क्षण पर, आफरीन ने भारतीय ध्वज थामे हुए अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि मैंने अपने देश, विश्वविद्यालय और परिवार को गर्व का अनुभव कराया, जिन्होंने हमेशा मेरे सपनों को पाने में मेरा साथ दिया। इस अवसर पर उनके भाई आदिल मोहम्मद (एएमयू के रसायन विभाग में पीएचडी छात्र) और भाभी रिजवाना यासमीन (नैनोटेक्नोलॉजी में एएमयू की गोल्ड मेडलिस्ट) भी उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर खड़े रहे।
एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने इस उपलब्धि को सामूहिक उत्सव और गर्व का क्षण बताया और कहा कि आफरीन की असाधारण भावना आने वाले वर्षों में एएमयू के अनेक छात्रों को प्रेरणा देगी। उन्होंने कहा कि आफरीन ने एक ऐसी यात्रा की शुरुआत की है, जिसे हमारे और भी प्रतिभाशाली छात्र आगे बढ़ाएंगे।
सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन और शारीरिक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. इकराम हुसैन ने आफरीन को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि एएमयू में उन्हें जो शैक्षणिक और मानसिक प्रशिक्षण मिल रहा है, वह भविष्य में और भी उपलब्धियां दिलाएगा।
पीआरओ की प्रभारी प्रो. विभा शर्मा ने जानकारी दी कि आफरीन और उनके भाई अभी यूके में हैं और शीघ्र ही अलीगढ़ लौटेंगे। उन्होंने फोन पर आफरीन और उनके परिवार को बधाई दी और विश्वविद्यालय समुदाय की ओर से शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
आफरीन जबी के रूप में एएमयू को एक नई प्रेरणास्रोत छात्रा मिली है, यानि अलीगढ़ की वह बेटी, जिसने लहरों को चीरते हुए इतिहास रचा और विश्वविद्यालय का नाम विश्व पटल पर गौरव के साथ अंकित किया। खेल के क्षेत्र में उनका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल प्रतीत होता है।
Prof. Sayed Mohammad Safdar Ashraf appointed Dean F/o Unani Medicine, AMU Aligarh
Prof. Syed Mohammad Safdar Ashraf
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अलीगढ़, 1 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज में ताहफ्फुजी व समाजी तिब (प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन) विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर सैयद मोहम्मद सफदर अशरफ को यूनानी चिकित्सा संकाय का डीन नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल 2 अगस्त से 22 अगस्त 2026 तक होगा।
प्रो. अशरफ एएमयू के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने विज्ञान तथा यूनानी चिकित्सा में डिग्रियाँ प्राप्त की हैं, जिनमें डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एम.डी.) भी शामिल है। उन्हें शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों का तीन दशकों से अधिक का अनुभव है, जिसमें प्रिंसिपल के रूप में सेवा देना भी शामिल है।
उन्होंने एएमयू में कम्युनिटी मेडिसिन (सामुदायिक चिकित्सा) के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा स्वास्थ्य प्रशासन के साथ मिलकर विभिन्न परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उन्होंने अलीगढ़ के पिछड़े क्षेत्रों में टीकाकरण, स्वास्थ्य सर्वेक्षण, पोषण मूल्यांकन और जनजागरूकता अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई है।
प्रो. अशरफ पाँच जर्नलों के संपादक हैं और जर्नल आॅफ इंटीग्रेटिड कम्यूनिटी हैल्थ के संस्थापक संपादक भी हैं। उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों में नौ पुस्तकें/अध्याय (लेखक या संपादक के रूप में) और चीन, पाकिस्तान, कतर व ब्रिटेन जैसे देशों की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित 62 शोध लेख शामिल हैं। उन्होंने मिस्र, इंग्लैंड, फ्रांस और श्रीलंका सहित 100 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है।
उन्होंने पेरिस और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी नई दिल्ली सहित कई मंचों पर 25 से अधिक मुख्य व्याख्यान और आमंत्रित व्याख्यान दिए हैं। उन्हें छह पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 2017 में मिला डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन नेशनल टीचर अवार्ड विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वे एएमयू कोर्ट सहित 130 से अधिक शैक्षणिक एवं पेशेवर संस्थाओं, चयन समितियों तथा लोक सेवा आयोगों से जुड़े हुए हैं।
Wednesday, July 30, 2025
भारतीय ज्ञान परम्परा
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भारतीय ज्ञान परम्परा पर संपन्न संगोष्ठी का आयोजन
29 जुलाई 2025 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग द्वारा 'भारतीय ज्ञान परम्परा में दार्शनिक परम्पराएं' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बीज वक्तव्य देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. ओमनाथ बिमली ने किया, जिन्होंने दर्शनशास्त्र को ज्ञान परम्पराओं का मूल बताया। इसी पक्ष को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्द्यालयों में उच्च उपाधि के रूप में डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की उपाधि प्रदान कि जाती है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मुख्य परीक्षा नियंत्रक प्रो. पवन कुमार शर्मा ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।उन्होंने अपने संबोधन में पाश्चात्य विद्वानों पर 'भारतीय ज्ञान परम्परा के गंभीर प्रभाव को उद्घाटित किया।उद्घाटन सत्र में संगोष्ठी के संयोजक डॉ.धनञ्जय मणि त्रिपाठी द्वारा सम्पादित ग्रन्थ का विमोचन किया गया।संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में ७० से अधिक विद्वानों और शोध पत्र वाचको ने अपने विचार रखे।
संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्या अतिथि के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (नूपा) के कुलसचिव डॉ. सूर्य नारायण मिश्र मुख्य अतिथि थे ।
भा०ज्ञा प० की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। विभागाध्यक्ष डॉ. ज. प्र.ना० ने समागत जगत में विद्वानों और वक्ताओं का स्वागत किया और शिक्षा जगत में ऐसे आयोजनों के महत्व को रेखांकित किया।
‘सोशल इनक्लुज़न एंड इन्क्लूसिव पोलिसीज़
एमएमटीटीसी, जामिया ने किया ‘सोशल इनक्लुज़न एंड इन्क्लूसिव पोलिसीज़ : टुवर्ड्स इक्विटी एंड इनक्लुज़न’ विषय पर दो साप्ताहिक अंतःविषय रिफ्रेशर कोर्स संपन्न
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) स्थित मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) ने 14 जुलाई से 26 जुलाई, 2025 तक आयोजित ‘सोशल इनक्लुज़न एंड इन्क्लूसिव पोलिसीज़ : टुवर्ड्स इक्विटी एंड इनक्लुज़न’ शीर्षक पर दो सप्ताह का ऑनलाइन अंतःविषय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस कार्यक्रम में 48 विषयों के 126 संकाय सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी की, जो 20 से अधिक भारतीय राज्यों के विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करते थे, जिनमें केंद्रीय और राज्य संस्थानों के साथ-साथ डीम्ड और निजी विश्वविद्यालय भी शामिल थे। ये सत्र विभिन्न बहुविषयक दृष्टिकोणों से आयोजित किए गए थे।
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का उद्घाटन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के माननीय कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने किया। आरंभ में, एमएमटीटीसी की मानद निदेशक प्रो. कुलविंदर कौर ने प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और मुख्य अतिथि प्रो. मज़हर आसिफ़ और पाठ्यक्रम समन्वयक, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामाजिक समावेशन अध्ययन केंद्र के डॉ. अरविंद कुमार का परिचय कराया।
अपने परिचयात्मक भाषण में, प्रो. कौर ने 'समावेश के विचार' पर पाठ्यक्रम की संकल्पना के पीछे की दृष्टि साझा की। उन्होंने इसके उद्देश्य—पहचान के विभिन्न अक्षों पर ऐतिहासिक और वर्तमान बहिष्कारों की आलोचनात्मक जाँच करना और शिक्षकों को आत्मचिंतनशील और समावेशी कक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाना- पर चर्चा की।
माननीय कुलपति ने अपने उद्घाटन भाषण में इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे भारत, सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक होने के नाते, सामाजिक विविधता और बहुलवाद के पक्ष में रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जाति, धर्म या जातीयता जैसी मूलभूत पहचानें सामाजिक रूप से निर्मित होती हैं, और हम इन प्रभावों से मुक्त होकर पैदा होते हैं।
प्रो. आसिफ़ ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) रिपोर्ट 2021-2022 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जैसे हाशिये के समुदायों के छात्रों के बढ़ते प्रतिनिधित्व का प्रतिबिंब है। उन्होंने विभिन्न धार्मिक अल्पसंख्यकों और उच्च शिक्षा संस्थानों में उनके प्रतिनिधित्व के आंकड़े साझा किए। उन्होंने कबीर, नानक, दादू, रैदास जैसे भक्त-संतों और महात्मा गांधी, सावित्रीबाई फुले और डॉ. अंबेडकर जैसे सामाजिक क्रांतिकारियों द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा की, जिन्होंने वंचित पृष्ठभूमि में पैदा होने के बावजूद लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया। प्रो. आसिफ़ ने जोर देकर कहा कि एनईपी-2020 समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 14, 15, 16 और 46 में निहित है। उन्होंने अपने समृद्ध उद्घाटन भाषण का समापन मिर्ज़ा ग़ालिब के एक उर्दू शेर से किया:
'बस-की-दुश्वार है हर काम का आसान होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना'
इसके बाद, पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि पाठ्यक्रम तीन घटकों का मिश्रण है: (i) सैद्धांतिक और शैक्षणिक हस्तक्षेप; (ii) जाति, जेंडर, जातीयता, भाषा आदि के मुद्दों पर संवेदनशीलता; और (iii) समावेशी नीतियों को लागू करने वालों की ओर से कार्रवाई उन्मुख हस्तक्षेप।
जामिया के इतिहास विभाग की प्रो. फरहत नसरीन, मानू विश्वविद्यालय के प्रो. निशिकांत कोलगे, पंजाब विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. राजेश गिल, जामिया के समाजशास्त्र विभाग की डॉ. गोमती बोदरा हेम्ब्रोम, सीएसएसएस, कोलकाता की डॉ. विभूति नायक, महिला एवं विकास अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. एन. मणिमेकलाई, डॉ. प्रशांत नेगी, डीयू के इतिहास विभाग के प्रो. रजीउद्दीन अकील और प्रो. चारु गुप्ता ने समावेश के सिद्धांतों और व्यवहारों पर व्याख्यान दिए।
संवेदीकरण के घटक में जेएमआई के एंटी-डिस्क्रीमिनेशन अधिकारी प्रोफेसर अर्चना दासी; प्रोफेसर निशात जैदी, मानद. निदेशक, सरोजिनी नायडू महिला अध्ययन केंद्र, जामिया; डॉ. नितिन तगाडे, हैदराबाद विश्वविद्यालय; प्रोफेसर संतोष सिंह, अम्बेडकर विश्वविद्यालय; प्रोफेसर चिन्ना राव, सीएसएसआई, जेएनयू; सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज एंड पॉलिसी रिसर्च, जेएमआई से डॉ. के. कोखो; डॉ कोर्सी डी. खारशींग; आईआईटी, बॉम्बे से प्रोफेसर रमेश बैरी के व्याख्यान शामिल थे
अधिक समावेशी समाज बनाने के लिए कार्य उन्मुख दृष्टिकोण पर व्याख्यान डॉ. ध्रुब कुमार सिंह, इतिहास विभाग, बीएचयू, प्रो. निसार खान, वास्तुकला विभाग, जेएमआई, डॉ. दीप्ति मुलगुंड, शिव नादर विश्वविद्यालय, डॉ. प्रद्युम्न बैग, समाजशास्त्र विभाग, जेएमआई, प्रो. रवि कांत, सीएसडीएस और प्रोफेसर विशाल चौहान जैसे विशेषज्ञों द्वारा दिए गए।
कुछ अन्य प्रमुख शिक्षाविदों में डॉ. रविकांत मिश्रा, (संयुक्त निदेशक, प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय), श्री अभय कुमार, आईएफएस, (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के उप महानिदेशक), श्री नवल किशोर राम, (आयुक्त, पुणे, और पूर्व निदेशक, पीएमओ, पूर्व संयुक्त सचिव, वित्त मंत्रालय) और श्री चितरंजन त्रिपाठी, निदेशक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय शामिल थे।
यूजीसी के निर्देशानुसार, प्रतिभागियों को उनके लर्निंग आउटकम जाँच के लिए गहन मूल्यांकन अभ्यास से गुजरना पड़ा। इसमें एमसीक्यू परीक्षा, समानता और समावेशन से संबंधित विषयों पर समूह प्रस्तुति शामिल थी। फीडबैक सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने एकमत से कहा कि यह पाठ्यक्रम अपनी कल्पना और कार्यान्वयन में अद्वितीय था। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम से प्राप्त सीख से उन्हें अपने संस्थानों में समावेशी कक्षाओं की दिशा में काम करने में मदद मिलेगी।
प्रो. साइमा सईद
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी
एएमयू की आरसीए में सिविल सेवा चयनित विद्यार्थियों का सम्मान, ‘सुपर 30‘ कोचिंग की शुरुआत
एएमयू की आरसीए में सिविल सेवा चयनित विद्यार्थियों का सम्मान, ‘सुपर 30‘ कोचिंग की शुरुआत
अलीगढ़, 30 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी ने हाल ही में सिविल सेवा व अन्य प्रतिष्ठित परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के सम्मान में जेएन मेडिकल कालिज के सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित किया। साथ ही ‘सुपर 30‘ नामक विशेष कोचिंग योजना (2025) का औपचारिक शुभारंभ किया गया।
एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने आईपीएस-2025 चयनित शकील अहमद, उत्तराखंड पीसीएस चयनित सहाना परवीन और सीएपीएफ चयनित विशाल भूषण को सम्मानित किया। चयनित अभ्यर्थियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।
कुलपति ने आरसीए की इस पहल को सराहते हुए इसे छात्रों के लिए प्रेरणादायक बताया और दृढ़ संकल्प के साथ लक्ष्य हासिल करने की सलाह दी।
आरसीए के निदेशक प्रो. मोहम्मद हसन ने बताया कि ‘सुपर 30‘ के अंतर्गत एएमयू के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के मेधावी छात्रों को नवंबर 2025 में होने वाली प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयनित कर प्रारंभिक स्तर से कोचिंग दी जाएगी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आले इमरान ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोहम्मद फिरोज अहमद ने दिया। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में आरसीए की सफलता का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया।
Sunday, July 27, 2025
Exposure Visit for Adolescent Girls from Low Income
Department of Social Work, JMI organizes University Exposure Visit for Adolescent Girls from Low Income Neighbourhoods
The Department of Social Work, Jamia Millia Islamia in collaboration with the Office of the Dean Students’ Welfare, Jamia Millia Islamia organized a university exposure visit of 20 adolescent girls from low income neighborhoods in association with Ankur-Society for Alternatives in Education, on June 24, 2025.
The adolescent girls currently residing in Khichripur, Sunder Nagri and Jaffrabad were between the age of 15 to 19 years and had an educational level ranging from 10 th to 12 th standard. The girls who have been part of Ankur’s youth collective were looking forward to exploring future educational opportunities and gaining exposure to the university campus. The day long exposure had been very meticulously planned in the backdrop of the proposed objectives and the participant expectations to provide an exposure the academic opportunities and the supportive facilities.
The day began in the seminar room of the Department of Social Work, JMI where the participants were warmly welcomed by Dr. Risha Baruah, followed by their brief introduction. The participants talked about their present educational pursuits, their aspirations and their expectations from the exposure visit. Thereafter, Prof. Neelam Sukhramani, Head, Department of Social Work, shared with the participants the history of Jamia Millia Islamia emphasizing the ideas and values that led to the emergence of the historical university and continue to be a cornerstone of its functioning. A short film about the university was also shown emphasizing the expansion of Jamia Millia Islamia from small tents to a university that ranks among the top in the country. Courses being offered in the university and specifically in the Department of Social Work including the eligibility criteria, admission process and the curricular components were shared with the participants. After the much inspiring sharing, the Director of Ankur- Society for Alternatives in Education, Ms. Sharmila Bhagat addressed the audience reiterating the background to the exposure visit that is rooted in the organizational belief of empowerment through education. She talked about the initiatives being taken by Ankur in low income neighbourhoods or what they also refer to as communities where people in the informal sector of the economy reside. Thereafter, five students who are currently pursuing BA Hons in Social Work and Masters in Social Work shared their journey before joining the programme and through the course of the programme. They talked about the transformation that they have experienced by being a part of the course. The students, some of whom came from very humble backgrounds talked about their trials and tribulations and the ways in which they had tried to overcome the same. The participants felt connected with the shared experiences.
This was followed by the youth group gaining exposure to various centres within the University that was coordinated seamlessly by the Office of the Dean, Students’ Welfare – Centre for Innovation And Entrepreneurship, Premchand Archives & Literary Centre, The Central Library, Computer Laboratory, AJK Mass Communication Research Centre and the Sports Complex of the University. The youth group was highly motivated in spirits throughout the exposure drive and communicated that the experience had been highly reinvigorating and thought provoking. A few statements from the participants are reflections of the meaning that the exposure visit held for them, “Yahan to aake rahungi”, “Padh bhi nahin paayi to kam se kam dekh liya”, “Kaash ye programme do din ka hota”. The participants were completely awestruck by the university. They took detailed notes at each place reflecting their desire to maximise this opportunity.
The painstaking efforts of Dr. Risha Baruah and Mr. Asrarul Haque Jeelani in setting the background of the programme, coordinating with all concerned and ensuring that the participants had a comfortable experience had clearly paid out. The team of the Office of the Dean Students’ Welfare led by Prof. Neelofar Afzal had mobilized all the possible opportunities of learning for the young participants. Mr. Maqsud Aalam, Section Officer, Office of the Dean Students’ Welfare coordinated with the various offices of Jamia Millia Islamia to provide a wholesome experience to the participants, for whom coming to the university was nothing short of a dream.
Battling social and economic adversities and yet having reached this far, the exposure had opened up vistas of future opportunities for the young girls. The day ended with a big cheer for the university and a strong desire to not be pulled back by circumstances.
Drone Prototype Reflectiong Innovation
AMU Students Develop Innovative Delivery Drone Prototype Reflectiong Innovation-Driven Education and Future-Ready Skills
Aligarh, July 26: Showcasing creativity and technological ingenuity, a team of final-year students from the University Polytechnic, Faculty of Engineering and Technology, Aligarh Muslim University (AMU), has successfully developed a Delivery Drone Prototype, a promising step towards autonomous aerial delivery systems.
Guided by former Principal of University Polytechnic, Prof. Arshad Umar and Dr. Tanveer Hasan, Associate Professor at the Polytechnic, the student team comprising Saubaan Ahmad Siddiqui, Ehtesham Ahmad, Shabab Khan, Ankit Tomar, Anas Khan, Muzaffar Hussain, and Omaan Ahmad Ansari successfully carried out six autonomous delivery missions within the university campus over a span of two months.
Equipped with real-time video streaming, autonomous navigation, gesture-controlled backup, and a custom dashboard to track flight data and delivery paths, the drone highlights the university’s commitment to hands-on, interdisciplinary learning.
This initiative is part of AMU’s larger vision to promote student-led innovation and applied research in emerging technologies. The project has received wide appreciation in academic circles for its relevance to real-world logistics, emergency response, and smart campus solutions.
Although this is a prototype for academic use, the team plans to enhance the system with AI-based object detection and an expanded operational range, reflecting the university’s emphasis on innovation-driven education and future-ready skills.
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